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ऋण और ऋण माफी... एक राष्ट्र द्रोही राजनीतिक पैंतरेबाजी....

जो कर्ज़ ले, उसे चुकाने का हौसला रखना चाहिए। यह भ्रम फैलाया जाता है कि - उद्योगपतियों का कर्ज़ माफ किया गया है । कर्ज़ किसी का माफ नहीं होना चाहिए। कर्ज़ माफ़ी की परम्परा समाज को मक्कारी और काहिल बनाती है । कुछ लोग कर्ज़ लेकर चुकाने से बचते हैं और कर्ज़ माफ़ी की घोषणा की प्रतीक्षा करते हैं । तो क्या वे मूर्ख हैं कर्ज़ लेकर उसे चुकाते हैं ? किसान की कर्ज माफी का वादा एक राजनीतिक पैंतरा और एक राष्ट्र द्रोही घोषणा है जो समाज को मुफ्तखोर, कामचोर और बेईमान बनने को प्रेरित करता है । मैं ऐसी किसी नीति का प्रबल विरोध करता हूं ।

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